मोकावत कछवाहों के गोत्र-प्रवरादि // Mokawat kachhwahon ke gotra-pravaradi
मोकावत कछवाहों के गौत्र-प्रवरादि :- वंश- सूर्यवंश गौत्र- मानव्य (मानव) कुलदेवी- श्री जमुवाय माता जी कुलदेवता- भगवान श्रीराम इष्टदेवी- श्री जीण माता जी इष्टदेव- श्री गोपीनाथ जी आराध्य देवी- शिला माता (अन्नपूर्णा) आराध्य देव- अम्बिकेश्वर महादेव गुरु- वशिष्ठ वेद- सामवेद मंत्र- गायत्री गायत्री- ब्रह्मा सुत्र- गोभिल नदी- सरयू नगारा- रणजीत डंका- बानासुर घौड़ा- सावकरण घौड़ी- उच्चैश्रवा हाथी- ऐरावत कंठी- भागवती माला- वैजयंती तिलक- केशर वृक्ष- बरगद (बड़ का पेड़) झाड़ी- खेजड़ी पक्षी- कबुतर धोती/वस्त्र- पीताम्बरी शाखा- मध्यादिनी/मारधुनिक धनुष- सारंग क्षत्र- श्वेत निशान(ध्वज)- पंचरंगा ध्वज में रंग- लाल,पीला,सफेद,हरा और नीला भोजन- सुर्त गिलास- सुख प्रमुख गद्दी - नरवरगढ़ और जयपुर पुरोहित- खाथड़िया (पारिक) प्रणाम- जय श्री गोपीनाथ जी की, जय श्री रघुनाथ जी की, जय रामजी की। नोट:- मोकावत कछवाह (कुशवाहा) राजवंश की एक शाखा है। जैसे-शेखावत, राजावत, नाथावत, नरूका, मेलका, खंगारोत, बालापोता इत्यादि हैं। कुशवाहा र...
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