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Showing posts from November, 2020

पूर्व एडमिरल विजय सिंह मोकावत // Ret. Admiral Vijay Singh Mokawat

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पूर्व एडमिरल विजय सिंह मोकावत पुत्र श्री लेफ्टिनेंट कर्नल धर्मपाल सिंह मोकावत चितौसा (झुंझुनूं) के निवासी थे। इनके (विजय सिंह) के दादोसा अपने ननिहाल भिवानी गोद चले गये थे। ले. कर्नल धर्मपाल सिंह मोकावत ने अपनी फौजी सेवा के दौरान अच्छी ख्याति अर्जित की थी। इन्हीं के पुत्र विजय सिंह मोकावत बी.ए करने के बाद 1952 ई. में भारतीय नौसेना में भर्ती हुए। प्रशिक्षण में प्रत्येक क्षेत्र में प्रथम रहने के कारण राष्ट्रपति प्रदत स्वर्ण पदक प्राप्त किया। 1971 ई. के भारत-पाक युद्ध में तीसरी पनडुब्बी 'करंज' को कुशलतापूर्वक कमान किया। इस युद्ध में अपनी कार्यवाहियों से शत्रु को भयभीत रखा, इसलिये उनको वीर चक्र प्रदान किया गया। अपने साहसपूर्ण कार्यों के कारण विजय सिंह मोकावत 1988 ई. में वाइस एडमिरल के पद पर पहुंचे। 1984 ई. में अति विशिष्ट पदक प्राप्त किया एवं 2 सितम्बर 1993 को नौसेना के सर्वोच्च पद, एडमिरल के पद पर पहुंचे। शेखावाटी में बिरमी, सोटवारा, सिरोही, झाझड़, बेरी, नारी, कारी, भगेरा, चितौसा, नयासर, सिरीयासर, जैतसीसर, मोमासर, खारिया, चिराणी समेत 100 से भी अधिक गांवों में मोकावत कछव...

कछवाहा राजवंश का इतिहास // (Kachhwaha rajvansh ka itihas)

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कछवाहों की उत्पति:- इस सांसारिक जीवन में जातियाँ और मनुष्य अपने पूर्वजों के इतिहास से शिक्षा व प्रेरणा लेकर जीवन निर्वाह करते हैं एवं अपने उज्जवल भविष्य का निर्माण स्वविवेक से करते हैं। हम कौन थे, हमारा वैभव क्या था? हमारे पूर्वज कैसे थे, हमारी संस्कृति और सभ्यता कैसी थी?  उपरोक्त ज्ञान  इतिहास का अध्ययन  करने  से प्राप्त  होता है। कछवाहा वंश इतिहास में प्रसिद्ध क्षत्रिय सूर्यवंशी राजपूत राजवंश की एक (खाप) शाखा  है। कछवाहों(राजपूतों) की उत्पति कहाँ से और कैसे हुई ? मान्यता है की यह कुल राम के पुत्र कुश से उत्पन्न हुवा है। कछवाह वंश अयोध्या राज्य के सूर्यवंशी राजाओ की एक शाखा है। भगवान श्री रामचन्द्र जी के ज्येष्ठ पुत्र कुश से इस वंश (शाखा) का विस्तार हुआ है । अयोध्या राज्य पर कुशवाह वंश का शासन रहा है। अयोध्या राज्य वंश में ''इक्ष्वाकु'' दानी ''हरिशचन्द्र'', ''सगर'' (इनके नाम से सगर द्वीप जहाँ गंगासागर तीर्थ स्थल है), पितृ भक्त ''भागीरथ '', गौ भक्त ''दिलीप '', ''रघु'' सम्राट '...

मोकावत कछवाहों के गोत्र-प्रवरादि // Mokawat kachhwahon ke gotra-pravaradi

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मोकावत कछवाहों के गौत्र-प्रवरादि  :- वंश- सूर्यवंश गौत्र- मानव्य (मानव) कुलदेवी- श्री जमुवाय माता जी कुलदेवता- भगवान श्रीराम इष्टदेवी- श्री जीण माता जी इष्टदेव- श्री गोपीनाथ जी आराध्य देवी- शिला माता (अन्नपूर्णा) आराध्य देव- अम्बिकेश्वर महादेव गुरु- वशिष्ठ वेद- सामवेद मंत्र- गायत्री गायत्री- ब्रह्मा सुत्र- गोभिल नदी- सरयू नगारा- रणजीत डंका- बानासुर घौड़ा- सावकरण घौड़ी- उच्चैश्रवा हाथी- ऐरावत कंठी- भागवती माला- वैजयंती तिलक- केशर वृक्ष- बरगद (बड़ का पेड़) झाड़ी- खेजड़ी पक्षी- कबुतर धोती/वस्त्र- पीताम्बरी शाखा- मध्यादिनी/मारधुनिक धनुष- सारंग क्षत्र- श्वेत निशान(ध्वज)- पंचरंगा ध्वज में रंग- लाल,पीला,सफेद,हरा और नीला भोजन- सुर्त गिलास- सुख प्रमुख गद्दी - नरवरगढ़ और जयपुर पुरोहित- खाथड़िया (पारिक) प्रणाम- जय श्री गोपीनाथ जी की,            जय श्री रघुनाथ जी की,            जय रामजी की। नोट:- मोकावत कछवाह (कुशवाहा) राजवंश की एक शाखा है। जैसे-शेखावत, राजावत, नाथावत, नरूका, मेलका, खंगारोत, बालापोता इत्यादि हैं। कुशवाहा र...

मोकावत वंश परिचय // Mokawat vansh parichaya

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मोकावत वंश परिचय :- मोकावत सूर्यवंशी कछवाह क्षत्रिय राजवंश की एक शाखा है। भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज कछवाह कहलाये। महाराजा कुश के वंशजों की एक शाखा अयोध्या से चल कर साकेत आयी, साकेत से रोहतासगढ़ और रोहतासगढ़ से मध्य प्रदेश के उतरी भाग में निषद देश की राजधानी पदमावती आये। रोहतास गढ़ का एक राजकुमार तोरनमार मध्य प्रदेश आकर वहां के राजा गौपाल का सेनापति बना और उसने नागवंशी राजा देवनाग को पराजित कर राज्य पर अधिकार कर लिया और सिहोनियाँ को अपनी राजधानी बनाया। कछवाहों के इसी वंश में सुरजपाल नाम का एक राजा हुवा जिसने ग्वालपाल नामक एक महात्मा के आदेश पर उन्ही के नाम पर गोपाचल पर्वत पर ग्वालियर दुर्ग की नीवं डाली। महात्मा ने राजा को वरदान दिया था कि जब तक तेरे वंशज अपने नाम के आगे पाल शब्द लगाते रहेंगे यहाँ से उनका राज्य नष्ट नहीं होगा। सुरजपाल से 84 पीढ़ी बाद राजा नल हुवा जिसने नलपुर नामक नगर बसाया और नरवर के प्रशिध दुर्ग का निर्माण कराया। नरवर में नल का पुत्र ढोला (सल्ह्कुमार) हुवा जो राजस्थान में प्रचलित ढोला मारू के प्रेमाख्यान का प्रशिध नायक है। उसका विवाह पुन्गल कि राजकुमारी...